नोटबंदी के बाद लोगों का रुझान डिजिटल और कैशलेस ट्रांजैक्शन की तरफ बढ़ा था। मार्केट में करेंसी न होने से लोग छोटे-छोटे लेनदेन के लिए भी डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, पेटीएम और मोबाइल पेमेंट का इस्तेमाल कर रहे थे, लेकिन अब कैश की उपलब्धता बढ़ने के साथ नोटबंदी के समय के मुकाबले डिजिटल ट्रांजैक्शन कम हो गया है। मई और जून में डिजिटल ट्रांजैक्शन 27 फीसदी पर आ गया है। हालांकि, इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि अभी इसमें सुधार होगा।
डिजिटल पेमेंट में फीस सबसे बड़ा मुद्दा
रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन को लेकर सबसे बड़ा मुद्दा फीस को लेकर है। आरटीजीएस, निफ्ट, डेबिट कार्ड के अलावा डिजिटल पेमेंट के अन्य तरीकों में अलग-अलग फीस लगती है। सरकार जल्द से जल्द डिजिटल ट्रांजैक्शंस को सस्ता बनाने की तैयारी कर रही है। इसके तहत आने वाले दिनों में और भी कदम उठाए जा सकते हैं।
घटा डेबिट कार्ड का इस्तेमाल
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल अक्टूबर में प्वाइंट्स ऑफ सेल में डेबिट कार्ड का इस्तेमाल 140 मिलियन (14 करोड़) था, जो कि नोटबंदी के दौरान दिसंबर 2016 में दोगुना से ज्यादा बढक़र 400 मिलियन (40 करोड़) से अधिक हो गया। वहीं, इस साल फरवरी में यह 250 मिलियन (25 करोड़) रहा, जबकि अप्रैल में करीब 268 मिलियन (26.8 करोड़) रहा है।
मोबाइल वॉलेट की यूज भी घटा
इसी तरह का अनुभव मोबाइल वॉलेट की सेवाएं देने वाली कंपनियों के साथ हुआ। नोटबंदी के बाद जहां उनके बिजनेस में छह गुना से ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की गई थी, अब लोगों द्वारा मोबाइल वॉलेट का कम इस्तेमाल करने के कारण वह घटने लगी है। आरबीआई ने कहा है कि टॉप आठ मोबाइल वॉलेट ने जून में गुड्स एंड सर्विसेज के लिए 80 मिलियन पेमेंट की बात कही है, जबकि मार्च में इन मोबाइल वॉलेट से 90 मिलियन पेमेंट्स हुए थे।