सहारनपुर। मलेरिया के मरीजों की संख्या में इजाफा न हो, लिहाजा स्वास्थ्य विभाग अलर्ट है। जुलाई महीने में संचारी रोग नियंत्रण अभियान के तहत रैलियों और गोष्ठियों के जरिये लोगों को सचेत किया गया। इस दौरान मलेरिया के मरीजों में कमी आई है। जनवरी से जुलाई 2019 तक लगभग एक लाख स्लाइड बनाई गईं, जिसमें मलेरिया के 47 मरीज निकले। तुलनात्मक अध्ययन के हिसाब से 2018 में जनवरी से जुलाई तक 1.08 लाख स्लाइड बनाई गई थीं, जिसमें 146 मरीज मलेरिया के मिले थे। जिला मलेरिया अधिकारी शिवांका गौड़ ने बताया कि संचारी रोग नियंत्रण अभियान का असर ही है कि मलेरिया के मरीजों में कमी आयी है।
मलेरिया के लक्षण
जिला मलेरिया अधिकारी शिवांका गौड़ ने बताया कि मलेरिया में ज्यादातर तीन स्टेज चार से छह घंटे के अंदर आती हैं। प्रथम स्टेज में सर्दी लगती है। द्वितीय स्टेज में तेज बुखार आता है और तृतीय स्टेज में पसीना आता है। मलेरिया के मरीजों में सिर दर्द, उल्टी, हाथों के जोड़ों में दर्द, कभी-कभी सूखी खांसी भी आती है।
मलेरिया बुखार की जटिलताएं-
बुखार दिमाग में पहुंच जाता है। इससे दौरे पड़ने और मरीज के कोमा में जाने की आशंका रहती है। मलेरिया से गुर्दे भी प्रभावित हो सकते हैं। एनीमिया का खतरा भी रहता है। खून में शुगर की कमी हो सकती है। हृदय की गति प्रभावित हो जाती है, जिससे कार्डियक एरेदमिया (असामान्य धड़कन) हो जाता है। पानी, सोडियम, पोटेशिमय की कमी हो जाती है। मलेरिया आंतों पर असर डालता है, जिससे डायरिया हो जाता है। प्लेटलेट्स भी कम हो जाते हैं।
ऐसे हो सकती है मलेरिया की रोकथाम-
- घर के आसपास गंदा पानी एकत्र नहीं होना चाहिए। मच्छरों को खत्म करने वाले उपकरणों का प्रयोग। नालियों में इनसेक्टीसाइड का छिड़काव करना चाहिए। किसी एंडमिक (स्थानिक) एरिया में जाने से पहले दवा लेनी चाहिए। पूरे बाजू के कपड़ने पहनने चाहिए। घर के आसपास या कूलर आदि में जमा पानी में मिट्टी तेल डालना चाहिये।
-जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि मलेरिया के मरीजों के इलाज की सरकारी अस्पतालों में इलाज की विशेष व्यवस्था की गयी है। किसी को भी मलेरिया की आशंका हो तो वह तुरंत सरकारी अस्पताल, सामुदायिक- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में निशुल्क जांच कराकर इलाज कराए।