सहारनपुर।
कुपोषण, मातृ व शिशु मृत्यु दर जैसे दानवों को जागरूकता से ही हराया जा सकता है। जन्म से 28 दिन तक नवजात को विशेष सुरक्षा मिले तो शिशु मृत्यु दर के आंकडें को लगभग शून्य पर लाया जा सकता है। दूसरी ओर कुपोषण व एनिमिया से भी जागरूकता से ही लड़ा जा सकता है।
पोषण अभियान के तहत आयोजित दो दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में यह बातें यूनिसेफ प्रतिनिधियों व स्टेट लेवल प्रशिक्षकों ने कही। कार्यक्रम में तीनों जिलों की डीपीओ, सीडीओ व चिकित्साधिकारी आदि शामिल हुए। दिल्ली रोड स्थित एक होटल में आयोजित मंडलीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में स्टेट लेवल प्रशिक्षक डीपीओ आशा त्रिपाठी व यूनिसेफ के मौ. अदनान ने बताया कि शिशु मृत्यु दर जन्म के 28 दिन तक सर्वाधिक होती है। इन 28 दिनों में अगर जरा सी सतर्कता बरती जाएं और बच्चें को स्तनपान ही कराया जाए तो शिशु मृत्यु पर काफी हद तक लगाम लगाई जा सकती है। बाहरी दूध पिलाने व गंदे हाथों से बच्चे को छूने से संक्रमण हो सकता है। निमोनिया हो सकता है। शुरू के 28 दिन तक बच्चें को विशेष सुरक्षा दी जानी चाहिए। मातृ मृत्यु दर का सबसे बड़ा कारण अधिक रक्त स्राव है जिससे लडने के लिए भी जागरूकता ही सबसे अहम है।