सुदर्शन कपटियाल।
सहारनपुर। ज्योतिषशास्त्र आचार्य ,ऋषि गोपाल ज्योति शिक्षा केंद्र के गोतित राजेश पाल ने बताया कि आश्विन मास शुक्ल पक्ष 3.10.2019 दिन गुरुवार नक्षत्र अनुराधा, योग आयुष्मान करण कालव, अग्निवास पृथ्वी, तिथि पंचमी पंचमी तिथि को मां दुर्गा के पांचवे रूप स्कंदमाता की पूजा होती है। यह भगवान स्कंद कार्तिकेय की माता है । स्कंदमाता को सृष्टि की प्रथम प्रस्तुता स्त्री माना जाता है। देवी पुराण के अनुसार इनकी चार भुजाएं हैं। बाई भुजा जो ऊपर उठी हुई है उस हाथ में कमल व दूसरे बाएं हाथ में वर मुद्रा और दाएं उठे हाथ में भी कमल दूसरे दाएं हाथ में भगवान स्कंद कुमार को गोद में पकड़े है। इनके तीन आंखें हैं। कमल के आसन पर विराजमान है। इस दिन साधक का ध्यान विशुद्ध चक्र (विशुद्ध चक्र गले के ठीक पीछे के भाग को कहते हैं) इस दिन साधक विशुद्ध चक्र को जागृत करता है। यह चक्र शुद्धीकरण का केंद्र है। इस केंद्र को जागृत करने से विभिन्न रोग अस्थमा, कंधे का दर्द, श्वास नली थायराइड, बोलने में दिक्कत हो आदि से छुटकारा मिलता है। माता का कारक ग्रह बुध है। अतः साधक के इस दिन आराधना करने से बुद्धि का विकास होता है और ज्ञान की चेतना बढ़ती है। इसके अतिरिक्त जिन लोगों का मैनेजमेंट, वाणिज्य ,बैंकिंग संबंधित कार्य हो पूजा से लाभ होता है। स्कंद माता को चंपा के फूल चढ़ाने, केले व केसर की खीर का भोग अति प्रिय है।