सुदर्शन कपटियाल।
सहारनपुर। ज्योतिषाचार्य गोतित राजेश पाल ने कहा कि 26 सितंबर 2019 को दोपहर साढे़ ग्यारह बजे त्रयोदशी तिथि प्रारंभ हो रही है। पार्वन श्राद्ध अपराहन में किए जाते हैं। अपराहन में त्रयोदशी तिथि है। जिन पुरखों की मृत्यु त्रयोदशी तिथि को हुई उनका श्राद्ध किया जाता है। इस तिथि में में मघा नक्षत्र है। अतः इसे मघा त्रयोदशी श्राद्ध भी कहते हैं। यह ध्यान रखना चाहिए कि दोपहर 11 बजकर 47 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट का शुभ मुहूर्त है। इसके बाद भी श्राद्ध किया जा सकता है। किसी पंडित जी से तर्पण पिंडदान भोजन दक्षिणा आदि श्राद्ध कर्म कराने चाहिए शास्त्रों के अनुसार मघा नक्षत्र में करने वाला श्राद्ध पराक्रम, प्रतिष्ठा ,लक्ष्मी ,वंश वृद्धि दायक होता है पितरों कीमुक्ति के लिए दान तर्पण दक्षिणा आदि करनी चाहिए उन लोगों को जरूर कराने चाहिए। जिनकी कुंडली में पितृदोष है गजच्छाया योग मे श्राद्ध अक्षय व अनंत गुना फल देता है जब सूर्य हस्त नक्षत्र में हो और त्रयोदशी तिथि में चंद्रमा मघा नक्षत्र हो तो गजच्छाया योग बनता है । इस समय किया गया श्राद्ध अत्यंत शुभ होता है इस वर्ष सूर्य हस्त नक्षत्र में नहीं है। अतः गजच्छाया योग नहीं बन रहा है यह योग कई वर्षों बाद बनते हैं। इस बार भी योग नहीं बन रहा है पर्वण श्राद्ध कुपत काल में ही करें। कुपत काल दोपहर 11 बजकर 36 से 12 बजकर 24 मिनट तक होता है।पितरों के निमित्त धूप ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए