सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को उन कॉरपोरेट कंपनियों की सूची देने केलिए कहा है जिन पर बैंकों का 500 करोड़ रुपये से अधिक का लोन बकाया है। साथ ही शीर्ष अदालत ने सरकार को ऋण वसूली न्यायाधिकरणों(डीआरटी) और अन्य अपीलीय निकायों में दस वर्ष से अधिक समय से लंबित वसूली केमामलों का आंकड़ा पेश करने के लिए कहा है। शीर्ष अदालत ने सरकार को चार हफ्ते के भीतर इस संबंध में हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है।
चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने साथ ही ऋण वसूली न्यायाधिकरणों(डीआरटी) और अन्य अपीलीय निकायों में मूलभूत सुविधाओं के अभाव पर भी नाराजगी जताई है। पीठ ने साफ किया जब तक मूलभूत सुविधाएं, न्यायिक मैनपावर और संसाधनों का अभाव रहेगा, मामलों का निस्तारण तेजी से नहीं हो पाएगा।
मामले लंबित पड़े रहेंगे। पीठ ने सरकार से कहा कि संशोधित अधिनियम में जो टाइम लाइन निर्धारित किए गए हैं क्या उनसे ऋण वसूली न्यायाधिकरणों(डीआरटी) और अन्य अपीलीय निकायों में मौजूदा मूलभूत सुविधाओं के जरिए मकसद पूरा होना संभव है।