सिद्धियां व शक्ति प्रदान करती हैं मां कुष्मांडा देवी
सुदर्शन कपटियाल।
सहारनपुर। ज्योति शिक्षा केंद्र के आचार्य एवं ज्योतिषाचार्य गोतित राजेश पाल गोपाल ने बताया कि अश्विन मास, शुक्ल पक्ष ,चतुर्थी तिथि, दिन बुधवार, संवत 2076 नक्षत्र विशाखा, योग प्रीति ,करण विष्टि, अग्निवास पाताल ,अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 45 मिनट से 12 बजकर 33, अमृत और स्वार्थ सिद्ध योग बन रहे हैं नवरात्रि की चतुर्थी तिथि में चैथा नवरात्र जगत जननी कुष्मांडा के स्वरूप की पूजा की जाती है। जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था। आदि शक्ति कुष्मांडा देवी ने ब्रह्मांड की रचना की देवी भागवत पुराण के अनुसार माता कुष्मांडा की सवारी शेर है। इनकी आठ भुजाएं जिनमें क्रमश दाएं हाथ में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण ,कमल ,पुष्प और बाए हाथ में अमृत कलश, माला ,गदा, चक्र, शोभित है मां कुष्मांडा का निवास सूर्यलोक है। मां का शरीर सूर्य की तरह चमकता है। माता की उपासना से सिद्धियां व शक्ति प्राप्त होती है। वे रोगों का नाश होता हैं । मां भक्तों के तेज में वृद्धि करती है। अतः उपासक को दसों दिशाओं से ख्याति मिलती है। माता की उपासना में पेठा या कुम्हडे ( जिससे पेठा मिठाई बनाई जाती है। यह कद्दू की प्रजाति है) की बलि दी जाती है। माता को सूखे मेवे का भोग लगाएं । इस दिन साधक अत्यंत पवित्र होकर अनाहत चक्र (हृदय के पास वाला क्षेत्र )जागृत करता है और सिद्धियां प्राप्त करता है। समस्त रोग और शोक नष्ट हो जाते हैं । इनकी शक्ति से आयु यश बल बढ़ता है। अनाहत चक्र जागृत करके हृदय रोग टीवी कैंसर तक के लोगों को ठीक किया जा सकता है। चतुर्थी तिथि 11 बजकर 40 तक है। शुभ मुहूर्त में पूजा करके निरोग व यस बल मां से प्राप्त करें नवरात्रों में व्रत रहकर दुर्गा सप्तशती का पाठ विधि विधान से करें