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शिव पूजा में नहीं होता शंख और तुलसी का इस्तेमाल, 4 अन्य चीजें जो शिवजी को नहीं चढ़ाई जाती

CityWeb News
Thursday, 25 July 2019 05:28 PM
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हिन्दू धर्म में सभी देवी-देवताओं को प्रसन्न करने, उनकी आराधना करने के विशिष्ट तरीकों का वर्णन उपलब्ध हैं। कुछ ऐसी सामग्रियां और विधियां होती हैं जो विशिष्ट आराध्य देव को बहुत पसंद होती हैं, उनकी पूजा में उन सामग्रियों की उपलब्धता मनवांछित फल प्रदान करती हैं। लेकिन कुछ ऐसी सामग्रियां भी होती हैं जिनका प्रयोग करना उलटा परिणाम प्रदान कर सकता है। जहां कुछ चीजें आराध्य देवी-देवताओं को पसंद आती हैं वहीं कुछ उन्हें कतई नापसंद होती हैं, ऐसे में अगर उन्हें वे अर्पित की जाएं या उनकी पूजा में उन सामग्रियों का प्रयोग किया जाए तो यह समस्या का कारण बन सकता है।
भगवान शिव जिन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है और विनाशक भी। जहां वे अपने भक्तों से बहुत ही जल्दी प्रसन्न होते हैं तो क्रोध के कारण बहुत जल्दी रौद्र रूप भी धारण कर लेते हैं। भगवान शिव को भांग- धतूरे का चढ़ावा बहुत पसंद है, पर कुछ ऐसी सामग्रियां भी हैं जिनका उपयोग शिव आराधना के दौरान बिल्कुल नहीं करना चाहिए। शिवपुराण के अनुसार शिव भक्तों को कभी भी भगवान शिव को ये 6 वस्तुएं नहीं चढ़ानी चाहिए।

पौराणिक कथा के अनुसार केतकी फूल ने ब्रह्मा जी के झूठ में साथ दिया था, जिससे नाराज होकर भोलनाथ ने केतकी के फूल को श्राप दिया और कहा कि शिवलिंग पर कभी केतकी के फूल को अर्पित नहीं किया जाएगा। इसी श्राप के बाद से शिव को केतकी के फूल अर्पित नहीं किए जाते हैं।

यूं तो तुलसी की पत्तियां पूजा में काम आती हैं, लेकिन भगवान शिव की पूजा के लिए इनका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। भगवान शिव ने तुलसी के पति असुर जालंधर का वध किया था। इसलिए उन्होंने स्वयं भगवान शिव को अपने अलौकिक और दैवीय गुणों वाले पत्तों से वंचित कर दिया।

दैत्य शंखचूड़ के अत्याचारों से देवता परेशान थे। भगवान शंकर ने त्रिशूल से उसका वध कि या था, जिसके बाद उसका शरीर भस्म हो गया,उस भस्म से शंख की उत्पत्ति हुई थी। शिवजी ने शंखचूड़ का वध किया इसलिए कभी भी शंख से शिवजी को जल अर्पित नहीं किया जाता है।

सिंदूर, विवाहित स्त्रियों का गहना माना गया है। स्त्रियां अपने पति की लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना हेतु अपनी मांग में सिंदूर लगाती हैं और भगवान को भी अर्पित करती हैं। लेकिन शिव तो विनाशक हैं, यही वजह है कि सिंदूर से भगवान शिव की सेवा नहीं की जाती है।

शिवलिंग पर नारियल अर्पित किया जाता है लेकिन इससे अभिषेक नहीं करना चाहिए। देवताओं को चढ़ाया जाने वाले प्रसाद ग्रहण करना आवश्यक होता है लेकिन शिवलिंग का अभिषेक जिन पदार्थों से होता है उन्हें ग्रहण नहीं किया जाता। इसलिए शिव पर नारियल का जल नहीं चढ़ाना चाहिए।

शिवजी के अतिरिक्त लगभग सभी देवी- देवताओं को पूजन में हल्दी गंध और औषधि के रूप में प्रयोग की जाती है। शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुष तत्व का प्रतीक है और हल्दी स्त्रियोचित वस्तु है। स्त्रियोचित यानी स्त्रियों संबंधित। इसी वजह से शिवलिंग पर हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है।

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