-ठंड में शिशुओं को रहता है खतरा, केएमसी से बचाव संभव
सिटीवेब /एसएल कश्यप।
सहारनपुर। नवजात को ठंड से बचाना बहुत जरूरी है। इसमें लापरवाही घातक साबित हो सकती है। ऐसे में स्वास्थ्य महकमा भी सतर्क है। 2.55 किलोग्राम वजन से कम नवजात के लिए कंगारू मदर केयर (केएमसी) यूनिट संजीवनी साबित होती है। इससे जहां बच्चे का तापमान सामान्य बना रहता है, वहीं उसका वजन भी तेजी से बढ़ता है। इससे नवजात शिशु सुरक्षित रहते हैं।
जिला अस्पताल के नवजात शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डाक्टर एके चैधरी ने बताया सर्दी की वजह से तापमान कम हो रहा है। सहारनपुर में पिछले कई दिनों से तापमान तीन डिग्री सेल्सियस के आसपास है। ऐसे में नवजातों की देखभाल बहुत जरूरी है। शून्य से 27 दिन तक के नवजातों को खतरा ज्यादा रहता है। उनकी देखरेख में जरा सी लापरवाही उन्हें बीमार कर सकती है। नवजातों के लिए कंगारू केयर बेहतर विकल्प होता है। डा. चैधरी ने बताया कंगारू केयर के लिए अस्पताल में अलग से यूनिट बनायी गयी है। उन्होंने बताया यहां कमजोर शिशु को मां के सीने से लगा कर रखा जाता है। गंभीर स्थिति में आम तौर पर 24 घंटे में छह से आठ घंटे तक बच्चों को रखा जा सकता है। सामान्य शिशु को रोज एक घंटे जरूर रखना चाहिए।
-क्या है कंगारू मदर केयर
डा. चैधरी ने बताया जैसे कंगारू अपने बच्चों को गरमाहट देकर उसकी आधी तकलीफें दूर करता है। उसी तरह से मां भी अपने सीने से नवजात को चिपका कर गरमाहट देती है। इससे उसकी सेहत में सुधार होता है।
-कमजोर बच्चे को दी केएमसी
आवास विकास निवासी सोनम ने 24 दिसंबर को अपने पहले बच्चे को जन्म दिया। बच्चे का वजन जन्म के समय 2 किलो के करीब था। उसे केएमसी दी गई। ऐसे में बच्चे का वजन बढ़कर ढाई किलो हो गया। और अब वह पूरी तरह से स्वस्थ है। सोनम ने बताया प्रसव के बाद कुछ समय तो उन्हें निगरानी कक्ष में रखा गया। बीते रोज उन्हें कंगारू मदर केयर कक्ष में रखा गया। यहां उन्हें केएमसी के बारे में बताया गया। इसी से उनके शिशु को लाभ मिला। वह अब भी अपने बच्चे को केएमसी दे रही हैं।
केएमसी से होने वाले लाभ
डा. चैधरी ने बताया केएमसी के जरिये त्वचा का संपर्क शिशु को शांत रखने और मां के आत्मविश्वास को बढ़ाने में सहायक होता है। केएमसी की मदद से नवजात शिशु के तापमान में सुधार होता है। यह एक तरह से मानवीय एवं प्राकृतिक इन्क्यूबेटर की तरह काम करता है। इससे मां के हारमोन सही रहते हैं और वह अपने शिशु को भरपूर स्तनपान करा पाती है। डाक्टर चैधरी ने बताया कि त्वचा से त्वचा का संपर्क मां को रिलेक्स रखता है। यही नहीं इससे अक्सर होने वाले डिप्रेशन की आशंका भी कम हो जाती है।