सुदर्शन कपटियाल।
सहारनपुर। ज्योतिषाचार्य गोतित राजेशपाल ने श्राद्ध की दशमी तिथि के बारे में जानकारी दी। दशमी तिथि मंगलवार 24 सितम्बर हो पडे़ेगी।
ज्योतिषाचार्य गोतित राजेशपाल ने बताया कि श्राद्ध दो प्रकार के होते हैं। पार्वण श्राद्ध व एकोदिष्ट श्राद्ध। अश्विन कृष्ण पा को अपने पितरों के निर्मित किये जाने वाले श्राद्ध पार्वण श्राद्ध कहलाते हैं। पार्वण श्राद्ध हमेशा अपहारण में मृत्यु की तिथि में किये जाते हैं। 24 सितम्बर को दशम तिथि को परिवार के जिन पूर्वजों की मृत्यु दशमी तिथि को हुई है, उनके श्राद्ध का दिन है। इस श्राद्ध को इसलिए खास माना जा रहा है, क्योंकि इस दिन मंगलवार व पुण्य नक्षत है। उन्होंने बताया कि श्राद्ध हमेशा विद्धान पंडित की देखरेख में तर्पण व पिंड दान करायें। क्योंकि इस मास में पितर पृथ्वी के निकट अपने सम्बंधियों से अपेक्षा करते हैं व किसी न किसी रूप में आते हैं। अतः हमें श्राद्ध से पिंड दान, तर्पण आदि करना चाहिए। श्राद्ध करता पांच पत्तों पर पंच वली निकासे गाय, श्वान, काक, देवादि, पीपलिकादि(चीटियों को) इसमें वाद अग्नि में भोजन सामग्री तथा सूखे आंवले एवं मुनक्के का भोग लगावे। पंडित जी को दक्षिणा सहित सहित खाना खिलवाये। ऐसा करने से हमारे पूर्वज खुश होते हैं। इस मास में हमें कोई शुभ कार्य भी नहीं करना चाहिए।