जिला प्रशासन व वोटर लिस्ट तैयार करने में लगाए गए कर्मचारियों की घोर लापरवाही का खामियाजा बड़ी संख्या में मतदाताओं को भुगतना पड़ा। वोटर कार्ड होने के बावजूद मतदाता सूची से उनके नाम गायब थे। जिस कारण लोकतंत्र के महापर्व में आहूति देने से काफी लोग वंचित रह गए। उन्हें घोर निराशा हुई। लोगों ने जिला प्रशासन के अधिकारियों व कर्मचारियों पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया। कंट्रोल रूम में भी लिस्ट से नाम कटने की काफी शिकायतें आई। शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी मतदान के प्रति लोगों में गजब का उत्साह दिखाई दिया। जिसमें हर आयु वर्ग के लोग शामिल थे। वोट डालने के लिए लोग परिवार के साथ पहुंचे। इस बार जिला प्रशासन ने लोगों को फोटो युक्त मतदाता पर्ची बांटी थी। लेकिन पर्ची का वितरण पचास फीसद मतदाताओं तक ही हो सका था। वोट डालने के लिए लोग पर्ची लेकर पहुंचे थे। जिन लोगों को पर्ची नहीं मिली थी वह अपना मतदाता पहचान पत्र लेकर पहुंचे थे। मतदान केंद्र पर पहुंच लोगों ने बीएलओ से पर्ची मांगी। लेकिन वोटर लिस्ट जांचने के बाद उन्हें पता चला कि लिस्ट से उनका नाम कट गया है। यह बात लोगों को नागवार गुजरी। कुछ लोगों ने केंद्र पर अपना विरोध भी दर्ज कराया। इसमें काफी लोग ऐसे थे जिन्होंने पूर्व के चुनावों में वोट दिया था। लेकिन इस बार उनका नाम कट गया। एब्ल्यूएचओ सोसाइटी में रहने वाले पूर्व कर्नल राजेंद्र ¨सह चौधरी पत्नी हेमा व बेटे शिवेंद्र के साथ वोट डालने पहुंचे थे। तीनों लोगों का नाट लिस्ट में नहीं थे। उनका कहना है कि वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में परिवार के साथ वोट दिया था। लेकिन इस बार सभी का नाम काट दिया। पूछने पर केंद्र पर बैठे लोग संतोष जनक जवाब तक नहीं दे सके। करन ¨सह का कहना है बिना कोई सूचना दिए लिस्ट से नाक काट दिया गया। वोट डालने के लिए केंद्र पर गए थे। नाम न होने के कारण वापस लौटना पड़ा। बिलासपुर स्थित मतदान केंद्र के एक बूथ पर वोटर लिस्ट में नाम न होने पर कई मतदाताओं को बिना मतदान किए वापस लौटना पड़ा। सरकारी कर्मचारी अतीकुर्रहमान उर्फ गुड्डू ने बताया कि वोटर लिस्ट में इस बार उनका नाम गायब था, जबकि 2014 के लोकसभा में उन्होंने मतदान किया था। पतलाखेड़ा निवासी अमित भाटी, राकेश व मोनू ने बताया पिछले लोस चुनाव में उन्होंने मतदान किया था, इस बार उनका नाम वोटर लिस्ट से काट दिया गया। बिलासपुर निवासी सादिम को भी वोटर लिस्ट में नाम न होने के कारण बिना मतदान किए घर लौटना पड़ा।