• Home
  • >
  • सहारनपुर में गीत गूंगा हो गया है
  • Label

सहारनपुर में गीत गूंगा हो गया है

CityWeb News
Thursday, 15 April 2021 03:53 PM
Views 375

Share this on your social media network

हिन्दी साहित्य जगत में राजन के निधन से शोक


सहारनपुर। ंसाहित्य भूषण’ राजेन्द्र राजन के निधन से पूरा साहित्य जगत शोक में डूबा है। उनके निधन पर साहित्यकारों ने शोक व्यक्त करते हुए इसे हिन्दी जगत की अपूरणीय क्षति कहा है। साहित्यिक संस्था विभावरी व समन्वय ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।


गीतकार डाॅ. विजेंद्र पाल शर्मा ने राजन के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि गीतों और ग़ज़लों में शब्द, भाव और व्यंजना के मोती टांकने वाले राजेंद्र राजन का जाना हिन्दी जगत की एक बड़ी क्षति है। कवि सुरेश सपन ने कहा है कि अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त गीतकार, राजेन्द्र राजन का निधन साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति है। करीब साढे़चार दशक में उन्होंने काव्य मंचों पर  गीत को जिस तरह प्रतिस्थापित किया वह उनकी दृढ़ इच्छा शक्ति से ही हो सका। फूहड़ हास्य, स्तरीय हीन कविताओं की भेंट जब मंच चढ़ रहे हो उस समय मंच पर गीतों के माध्यम से प्राण फंूकने का काम उन्होंने किया। उनका जानाा साहित्य जगत की बड़ी क्षति है। सहारनपुर के पूर्व कमिश्नर व साहित्यकार आर पी शुक्ल ने राजन के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि राजन की गीत मंचों पर काफी समय तक कमी खलेगी। उनका जाना सहारनपुर से मानो हिन्दी गीतों का पलायन है।


राजन के घनिष्ठ मित्र साहित्यकार डाॅ.वीरेन्द्र आज़म ने राजन के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि उनके अवसान से सहारनपुर मंे गीत गूंगा हो गया है। वह सामाजिक सरोकारों और प्रेम गीतों के अप्रतिम गीतकार थे। उनके गीत लोगों के अधरों पर दशकों से तैरते है और तैरते रहेंगे। उनकी मंचों पर मौजूदगी कवि सम्मेलन की सफलता की गारंटी होती थी। राजेन्द्र राजन के गीतों ने काव्य मंचों को गरिमा दी है। उनका हिन्दी साहित्य, हिन्दी गीत, हिन्दी  मंचों और मेरी निजी क्षति है। कवि विनोद भंृग ने कहा है कि लगभग 44 वर्षो तक हिन्दी काव्यमंचों पर गीत को स्थापित करने में जिस व्यक्तित्व का महत्वपूर्ण योगदान रहा, उसे अंतराष्ट्रीय फलक पर गीतकार राजेन्द्र राजन के नाम से जाना गया। उनका असमय महाप्रयाण करना निःसंदेह हिन्दी गीत की अपूरणीय क्षति है। वह लंबे समय तक साहित्यिक संस्था प्रतिबिंब के अध्यक्ष रहे। कवि नरेन्द्र मस्ताना ने इन पंक्तियों के माध्यम से अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किये-राजन अपनी कलम से करते रहे कमाल, गीत ग़ज़ल ऐसे लिखे देंगे लोग मिसाल।


कवि हरिराम पथिक ने कहा है कि राजन के निधन से हिन्दी जगत में जो रिक्त स्थान आया है वह भरना मुश्किल है। वह एक ऐसे गीतकार थे जिन्होंने गीतों में प्रेम और जीवन के अर्थ भरे। उनका निधन सहारनपुर ही नहीं पूरे हिन्दी जगत की क्षति और अंतर्राष्ट्रीय काव्य मंचों का भारी नुकसान है। समन्वय के अध्यक्ष डाॅ ओ पी गौड़ व सचिव डाॅ. आर पी सारस्वत ने शोक  व्यक्त करते हुए कहा कि राजेंद्र राजन ने गीत के माध्यम से करीब साढे़ चार दशक तक हिन्दी साहित्य और मंचों की सेवाएं की है। उनके जाने से हिन्दी गीत जगत में एक बड़ा खाली पन आ गया है। राजेन्द्र राजन के गीत शिष्य मोहित संगम ने भारी मन से कहा कि गुरु जी का निधन मेरी निजी क्षति है, मेरे गीतों को गति देने वाला चला गया। मुझे जब भी समाज से, दुनिया से, जीवन से अलगाव सा होता है तो मैं राजन जी के गीतों सुनकर अपने को संयत करता हूं। इसके अलावा कृष्ण शलभ स्मृति संस्थान की अध्यक्ष हेम शलभ, मनीष कच्छल व डाॅ.अनीता, आदि ने  भी शोक व्यक्त किया है।

ताज़ा वीडियो


Top 5 News: अब तक की 5 बड़ी ख़बरें
PM Narendra Modi Rally in Saharanpur
Ratio and Proportion (Part-1)
Launching of Cityweb Newspaper in saharanpur
ग्रेटर नोएडा दादरी में विरोध प्रदर्शन - जाम
More +
Copyright © 2010-16 All rights reserved by: City Web