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सावधान! देश में टी.बी से हो रही हैं लगातार मौतें
By: एबीपी न्यूज़, वेब डेस्क | Last Updated: Monday, 31 July 2017 2:28 PM TB cases highest among delhi kids, lowest in chennai: Survey
नई दिल्ली: भारत की राजधानी दिल्ली में रोजाना टी.बी से कम से कम 10 लोगों की मौत होती है. टीबी एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज हो सकता है इसके बावजूद शहर में इस बीमारी से मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है.
क्या है टी.बी-
टी.बी यानि ट्यूबरक्लोसिस फैलने वाली बीमारी है जो आमतौर पर फेफड़ों पर वार करती है और बाकी और हिस्सों में भी फैल सकती है जैसे पीठ और अंतड़ी. ये माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया से होता है जो हवा जैसे कोल्ड और फ्लू के जरिए फैलता है.
क्या कहते हैं आंकडे-
एन.जी.ओ. प्रजा फाउनडेशन ने आर.टी.आई के जरिए की गई रिसर्च के मुताबिक, 2014-2015 में टीबी से लगभग 47% मौतें 15 से 44 साल के लोगों की हुई थीं. प्रजा फाउन्डेशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर मिलिंद महाक्से का कहना है कि हॉस्पिटल से मिली रिपोर्ट में कुल मौतों में से 60% मौतों का कारण टी.बी बताया गया है. हालांकि इन आंकडों में सेंटर और प्राइवेट हॉस्पिटल्स शामिल नहीं थे.
नॉर्थ दिल्ली में अधिक फैला है टी.बी-
नॉर्थ दिल्ली में रोहिणी जोन टी.बी से सबसे ज्यादा प्रभावित है जहां सारे मामलों में 33% मामले रोहिणी के हैं. 2014 से 2016 तक सिविल लाइंस के 11% मामले और करोल बाग के 8% मामले रिपोर्ट किए गए और जनवरी 2014 से दिसंबर 2016 तक दिल्ली में 2 लाख से ज्यादा टी.बी के मामलें सामने आए जिसमें 2014 में 73,096 मामले, 2015 में 83,028 मामले और 68,169 मामले हैं. टी.बी से 2014 में 4,350 और 2015 में 3,635 लोगों की मौत हुई.
एक्सपर्ट्स का क्या है कहना-
एम्स के प्रोफेसर और डिवीज़न ऑफ़ क्लीनिकल माइक्रोबायोलॉजी एंड मॉलिक्यूलर मेडिसिन के मुख्य डॉ. सरमन सिंह का कहना है कि लोगों को इस बीमारी के ना पता होने के कारण टी.बी का खतरा और इसके कारण मौतें हो रही हैं. उनका ये भी कहना है कि भारत में टी.बी के कारण हर 2 मिनट में 3 लोगों की मौत होती है. इस बीमारी को कंट्रोल करने के लिए लोगों को जागरूक करना बहुत जरूरी है ताकि समय रहते बीमारी के लक्षण देखते हुए, इसका इलाज कराया जा सके.
बच्चों पर दवाएं भी हो रही हैं बेअसर-
शोध में पता चला है कि दिल्ली में सबसे ज़्यादा 12.2% और चेन्नई में सबसे कम 5.4% टी.बी बच्चों में फैला हुआ है. हाल में आई रिसर्च में ये पता चला है कि टी.बी के इलाज में दी गई दवाई रिफैम्पिसिन का असर 9% बच्चों पर नहीं हुआ जो एक चिंता का विषय बन गया है. रिफैम्पिसिन टी.बी का इलाज करने वाली उन शुरूआती दवाओं में से एक है जो कि काफी असरकारक है.
इस वजह से बच्चों को होता है टी.बी-
डॉक्टर्स कहते हैं कि बच्चों को इंफेक्शन ज्यादातर व्यस्क लोगों से फैलता है इसलिए अगर एडल्ट्स इस बीमारी से बचे रहें तो बच्चों में भी इस बीमारी का खतरा कम रहेगा. उन्होनें ये भी बताया कि टी.बी ज्यादातर गरीब लोगों को ही होती है, ये बात सिर्फ एक मिथ है. अर्बन क्लाल के लोग भी इस बीमारी की चपेट में है.