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किसानों के समर्थन में अखिलेश का हल्ला बोल

CityWeb News
Friday, 25 December 2020 11:26 AM
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कृषि कानूनों को लेकर किसानों की सबसे ज्यादा नाराजगी भले ही हरियाणा और पंजाब में देखने को मिल रही हो, लेकिन यूपी के किसानों में भी गुस्सा कम नहीं है. यही वजह है कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में अपनी सियासी जमीन मजबूत करने के लिए किसानों के मुद्दे पर बीजेपी के खिलाफ सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक मोर्चा खोले हुए हैं. कृषि कानून के विरोध में सपा कार्यकर्ता शुक्रवार को यूपी के सभी गांव में चौपाल लगाकर किसानों के साथ बातचीत करेंगे.

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि किसानों के साथ बीजेपी राज में सबसे ज्यादा अन्याय हुआ है. सपा सूबे भर में कृषि कानूनों को खिलाफ गांव-गांव किसान घेरा कार्यक्रम करेगी. समाजवादी पार्टी किसानों की अपनी पार्टी है. ऐसे में किसानों के संघर्ष में हम उनके साथ हैं. सपा किसान घेरा कार्यक्रम के जरिए किसानों तक अपना समर्थन पहुंचाने के साथ सपा सरकार की किसान कल्याणकारी योजनाओं की भी जानकारी देगी.

अलाव के साथ बातचीत

किसान घेरा कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी के प्रमुख नेता गांवों में घेरा बनाकर अलाव के साथ चौपाल में किसानों से बातचीत करेंगे. उनकी समस्याओं पर चर्चा करेंगे और उनके संघर्ष में सहयोगी होने का भरोसा दिलाएंगे. सपा ने इस कार्यक्रम के लिए अपने 132 बड़े नेताओं और पदाधिकारियों को एक-एक गांव में चौपाल लगाने की जिम्मेदारी सौंपी है. 

सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने बताया कि नेता विरोधीदल विधानसभा राम गोविंद चौधरी बलिया में, प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम लखनऊ में, सांसदों में शफीकुर्रहमान बर्क मुरादाबाद में, एसटी हसन मुरादाबाद देहात में, चन्द्रपाल सिंह यादव झांसी, विशम्भर प्रसाद निषाद फतेहपुर में व पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव बदायूं के एक गांव में किसान घेरा चौपाल में शामिल होंगे. 


किसान आंदोलन के बहाने किसानों की नाराजगी का सपा सियासी फायदा उठाने की तैयारी में है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी किसानों के मुद्दे पर लगातार बीजेपी सरकार पर निशाना साध रहे हैं. सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी कहते हैं कि चौधरी चरण सिंह ने गांव और किसानों पर काम करने के लिए उनको काफी अधिकार दिया. चौधरी साहब ने ही मंडी कानून बनाने की पहल की थी, लेकिन मोदी सरकार कृषि कानून लाकर उसे ही खत्म कर रही है. ऐसे में सपा किसान दिवस के मौके पर किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी होना चाहती है. सपा नए कृषि कानूनों के खिलाफ शुरू से यही मांग कर रही है कि इसे खत्म किया जाए. 

सपा के लिए किसान क्यों अहम

उत्तर प्रदेश में किसान किंगमेकर की भूमिका में हैं, सूबे की 300 विधानसभा सीटें ग्रामीण इलाके की हैं. खासकर पश्चिम यूपी में तो किसान राजनीति की दशा और दिशा तय करते हैं. वरिष्ठ पत्रकार अरविंद सिंह कहते हैं कि सपा का राजनीतिक आधार किसान और पशुपालक ही रहा है. हाल के दिनों में जिस तरह से बीजेपी ध्रुवीकरण के जरिए ग्रामीण इलाके में अपना राजनीतिक आधार बनाने में कामयाब हुई है और उपचुनाव में कांग्रेस जिस तरह से दो सीटों पर दूसरे नंबर पर रही है, उससे सपा के लिए चुनौती खड़ी हो गई है. ऐसे में किसान आंदोलन के पक्ष में सपा का खड़ा होना एक मजबूरी बन गई है. 

अरविंद सिंह कहते हैं कि यूपी में किसान सियासी तौर पर अहम भूमिका अदा करते हैं. सूबे के पश्चिम यूपी में किसानों के अंदर गुस्सा बढ़ रहा है. 2022 के विधानसभा चुनाव में अब वक्त ज्यादा नहीं रह गया है, जिसके चलते बीजेपी किसान सम्मेलन के जरिए उन्हें समझाने में जुटी है. वहीं, सपा किसानों के बीच अपनी पैठ बनाने की कवायद में है.


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