नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जीत के लिए शाहीन बाग को मुद्दा बनाया था, लेकिन क्या इसका फायदा केजरीवाल हुआ। दिल्ली विधानसभा चुनाव में वोटों का बंटवारा कुछ यही इशारा कर रहा है। दिल्ली के 2015 के विधानसभा चुनाव में जो मुस्लिम वोटर काफी हद तक आम आदमी पार्टी (आप) के साथ लामबंद हुए थे, 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस में वापसी की थी।कांग्रेस में इससे उम्मीद जगी थी। लेकिन इस बार वोटों का ट्रेंड दिखाता है कि मुस्लिम वोटर फिर से केजरीवाल के साथ ज्यादा मजूबती से लामबंद हुए हैं। आप को इस बार ठीक 2015 जितने वोट मिलते दिख रहे हैं, हालांकि उसकी सीटें कुछ कम जरूर हुई हैं। आप को 58 के आसपास सीटें मिल रही हैं, जो पिछली बार से कम हैं। वहीं, 2015 में तीन सीटों पर सिमटने वाली बीजेपी इस बार अपने प्रदर्शन में सुधार करते हुए 12 सीटें जीतती दिख रही है। इस चुनावी खेल में कांग्रेस ने भी आशंकाओं के अनुरूप बेहद बुरा प्रदर्शन किया है। पार्टी फिर से शून्य पर क्लीन बोल्ड होती दिख रही है। पार्टी का खाता तो फिर नहीं खुल रहा, उसके वोट प्रतिशत घटकर आधा हो गया है। आम आदमी पार्टी को इस बार भी 54 प्रतिशत के आसपास वोट मिलते दिख रहे हैं। हालांकि इस बार उसे 8-10 सीटों का नुकसान हो रहा है। आप ने 2015 में 54ः वोटों के साथ 67 सीटों पर धमाकेदार जीत दर्ज की थी। इसमें मुस्लिम वोटरों के कांग्रेस को छोड़कर आप में साथ लामबंद होना एक बड़ी वजह थी। इस बार के चुनाव के नतीजे भी यही ट्रेंड दिखा रहे हैं।