जम्मू संभाग में उधमपुर के रामनगर तहसील में हिमाचल प्रदेश में निर्मित दवा के सेवन से बच्चों की मौत मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पीड़ित परिवारों को तीन-तीन लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। एनएचआरसी ने पीएचआर एक्ट 1993 की धारा 18 ए(1) के तहत जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव को छह सप्ताह में मुआवजा राशि वितरित कर भुगतान संबंधी दस्तावेज जमा कराने को कहा है।
घटिया दवा से रामनगर तहसील के 12 बच्चों की मौत हो गई थी। इससे पूर्व आयोग ने प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करने को कहा था। इसके अलावा पूछा था कि क्यों न पीड़ित परिवारों को तीन-तीन लाख रुपये मुआवजा राशि देने की सिफारिश की जाए। आयोग ने ताजा आदेश में कहा है कि बच्चाें की मौत के लिए सरकारी लापरवाही जिम्मेदार है, जिसका मुआवजा देना होगा।
सामाजिक कार्यकर्ता सुकेश खजूरिया ने एनएचआरसी को दी याचिका में इस मामले को उठाया था। खजूरिया ने याचिका में आरोप लगाया कि खांसी जुकाम की घटिया दवा के सेवन से दर्जनभर बच्चों की जान चली गई। रामनगर में यह घटनाएं दिसंबर 2019 और जनवरी 2020 के दौरान सामने आई थीं। इसके लिए दवा निर्माता के अलावा संबंधित सरकारी अमला भी जिम्मेदार है। यदि विभाग के अधिकारी समय रहते अपना दायित्व निभाते तो बच्चों की जान बचाई जा सकती थी। खजूरिया ने पीड़ित परिवाराें के लिए मुआवजा राशि और जवाबदेही अधिकारियाें के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।
आयोग ने जून में किया था जवाब तलब
आयोग ने 11 जून 2020 को प्रदेश के मुख्य सचिव, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव से जवाब तलब किया था। याची सुकेश खजूरिया ने हिमाचल प्रदेश और पंजाब में इसी तरह के अन्य मामलाें को लेकर दोनों प्रदेशाें के मुख्यमंत्रियों को भी कार्रवाई के लिए पत्र लिखे थे।