दशहरे पर उठा राम मंदिर, सीएए और चीन का मुद्दा
विजय दशमी और स्थापना दिवस के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने समस्त देशवासियों को संबोधित करते हुए विजयदशमी की शुभकामनाएं दी और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने, नागरिकता संशोधन कानून और राम मंदिर का खास तौर से जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि देश और दुनिया में जितने भी विषय पर चर्चा हो रही थी वह सब कोरोना काल में दब गई। कोरोना के कारण नागपुर की रेशमबाग में सिर्फ 50 स्वयंसेवकों के साथ आयोजित इस कार्यक्रम को लेकर मोहन भागवत ने कहा कि संघ के इतिहास में पहली बार इतने कम स्वयंसेवकों की उपस्थिति में यह उत्सव हो रहा है।
इस दौरान सरसंघचालक डॉक्टर मोहन भागवत ने चीन का भी मुद्दा उठाया और कहा कि कोरोना महामारी के संदर्भ में चीन की भूमिका संदिग्ध रही। यह तो कहा ही जा सकता है। परंतु अपने आर्थिक, सामरिक बल के कारण मदांध होकर उसने भारत की सीमाओं पर जिस प्रकार कब्जे का प्रयास किया वह पूरे विश्व के सामने स्पष्ट है। भारत का शासन-प्रशासन, सेना तथा जनता सभी ने इस आक्रमण के सामने अड कर, खड़े होकर अपने स्वाभिमान, दृढ़ निश्चय, वीरता का उज्जवल परिचय दिया। जिस से चीन को बड़ा धक्का लगा है।
इसके साथ ही मोहन भागवत ने चीन पर निशाना साधते हुए कहा कि हम शांत हैं इसका मतलब यह नहीं कि हम दुर्बल है। अब चीन को भी इस बात का एहसास तो हो ही गया होगा। लेकिन ऐसा नहीं है कि हम इसके बाद लापरवाह हो जाएंगे। भागवत ने संबोधन में कहा कि मार्च महीने में लॉकडाउन शुरू हुआ तब बहुत सारे विषय पर दुनिया में चर्चा हो रही थी। उनकी चर्चा का स्थान महामारी ने ले लिया।
इस दौरान मोहन भागवत ने पिछले साल जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और संसद में पास हुए नागरिकता संशोधन कानून का भी उल्लेख किया और कहा कि विजयदशमी के पहले ही 370 प्रभावहीन हो गया था वही विजयदशमी के बाद 9 नवंबर को राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया। जिसे पूरे देश ने स्वीकार किया। 5 अगस्त को राम मंदिर निर्माण का जो पूजन हुआ उसमें भी उस वातावरण की पवित्रता को देखा और संयम और समझदारी को भी देखा गया।
आर एस एस के इस प्रमुख वार्षिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून भी संसद की पूरी प्रक्रिया के बाद भाजपा पड़ोसी देशों में दो-तीन देश ऐसे हैं जहां सांप्रदायिक कारणों से उस देश के निवासियों को प्रताड़ित करने का इतिहास है और ऐसे लोग केवल भारत ही आते हैं और पीड़ित यहां पर जल्दी बस जाए इसलिए अधिनियम में कुछ संशोधन का प्रावधान था। जो भारत के नागरिक हैं उनके लिए इससे कुछ खतरा नहीं होगा।