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प्रो भटनागर बने बीएचयू के नए वीसी, JNU हॉस्टल से किया था कन्हैया और खालिद समेत आठ को बाहर

CityWeb News
Saturday, 24 March 2018 04:33 PM
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वाराणसी.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के बॉयोटेक्नॉलजी के प्रो राकेश भटनागर को वाराणसी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के नए वीसी बनाए गए हैं। शुक्रवार देर रात बीएचयू को 26वां वीसी मिला। पीआरओ राजेश सिंह ने बताया भारत के राष्ट्रपति ने प्रो राकेश भटनागर को बीएचयू का वीसी नियुक्त किया है। प्रो भटनागर सहारनपुर के रहने वाले हैं उनका जन्म 1951 में हुआ है। वो इससे पहले कुमाऊं यूनिवर्सिटी में भी वीसी रह चुके हैं।

- जेएनयू में वो एकेडमिक स्टॉफ ऑफ कॉलेज के डॉयरेक्टर रहते हुए फरवरी 2016 में कैंपस में अफजल गुरु पर आयोजित कार्यक्रम में देश विरोधी नारों को लेकर सख्त डिसीजन लिए थे। जांच कमेटी को लीड करने के नाते उनकी रिपोर्ट पर कन्हैया और खालिद समेत आठ स्टूडेंट को हॉस्टल से बाहर किये गए थे।

- प्रो भटनागर मालीक्यूलर बायोलॉजी एंड जेनेटिक इंजीनियरिंग लैब्रोटी के एक्सपर्ट हैं।
- प्रो राकेश भटनागर ने केमेस्ट्री से एमएससी कानपुर यूनिवर्सिटी से किया है। वहीं, कानपुर स्थित राष्ट्रीय चीनी संस्थान से उन्होंने पीएचडी किया है। इंसानों और पशुओं में होने वाले वॉयरल बीमारी एंथ्रेक्स के लिए तीन सालो के रिसर्च के बाद इसके टीके को विकसित किया। वर्ल्ड के दस बेस्ट रिसर्चों में शामिल होने के कारण इन्हें राष्ट्रपति अवार्ड भी मिला है।
विवादों में घिरे रहे पूर्व कुलपति
- इसके पहले बीएचयू के पूर्व कुलपति कुलपति प्रो गिरीश चंद्र त्रिपाठी नियुक्ति के बाद से ही विवादों में घिरे रहे। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्री प्रो त्रिपाठी की नियुक्ति नवंबर 2014 में एचआरडी मंत्रालय ने की थी।
-कुलपति बनने के बाद से ही उन पर आरएसएस की विचारधारा को बीएचयू में थोपने का आरोप लगता रहा है। चाहे वह मैगसेसे अवॉर्डी संदीप पाण्डेय को हटाने का मामला हो या फिर कैंपस में शाकाहारी भोजन की अनिवार्यता का।

बीएचयू में हुआ था बवाल
- 21 सितंबर, 2017 को बीएचयू के भारत कला भवन के पास बीएफए की छात्रा संग हुए छेड़छाड़ के बाद छात्राओं ने आदोलन किया था। जिसमें बीएचयू के सुरक्षाकर्मियों और पुलिसकर्मियों ने छात्राओँ पर लाठीचार्ज भी किया था।
- प्रो जीसी त्रिपाठी को उनके विवादित बयानों के चलते मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने लीव पर भेज दिया था। उसके बाद 27 नवंबर को प्रो. त्रिपाठी का कार्यकाल पूरा हो गया, तब से कुलसचिव डॉ नीरज त्रिपाठी कार्यवाहक कुलपित के रूप में काम देख रहे थे।

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