दिल्ली। इस दिनों दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर खतरनाक लेवल पर है। प्रदूषण के इस हद तक बढ़ने का कारण पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा पराली जलाना है। धान की फसल कटाई और गेहूं की फसल बोने के बीच में किसानों के पास करीब 10 दिन का ही वक्त होता है। ऐसे में फसल की रोपाई के लिए खेतों में जमा पराली को हटाना अनिवार्य है। इस परिस्थिति में किसानों के पास सबसे सुविधाजनक तरीका पराली जलाना ही है। इसके साथ ही पंजाब और हरियाणा के खेतों से उठनेवाला यह धुआं पड़ोसी दिल्ली की सेहत जरूर खराब कर रहा है।दिल्ली में प्रदूषण और खेतों में पराली जलाने को लेकर राजनीतिक वाद-विवाद भी जारी है। पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर तत्काल सहायता की मांग की है। उन्होंने केंद्र को लिखे पत्र में लिखा, श्मैं यह पत्र इसलिए नहीं लिख रहा हूं कि पंजाब राज्य की जिम्मेदारियों से अपना पल्ला झाड़ सकूं। हमें इसके लिए जिम्मेदार ठहराना चाहिए, लेकिन बाकी देश भी इसके लिए उतना ही जिम्मेदार है और दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार भी।श्पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने का असर दिल्ली पर भयानक तरीके से पड़ रहा है। शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी का प्रदूषण स्तर 75 पॉइंट बढ़ गया जिसके कारण एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 484 तक पहुंच गया। दिल्ली और एनसीआर की हवा की गुणवत्ता इस कारण से बेहद खराब की श्रेणी में है और शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के पैनल ने स्वास्थ्य आपातकाल (हेल्थ इमर्जेंसी) लगा दी।दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का प्रमुख कारण गाड़ियों से निकलनेवाला धुआं है। इसके बाद भी ठंड के मौसम में किसानों द्वारा पराली जलाने से प्रदूषण का स्तर हर साल खतरनाक लेवल तक पहुंच जाता है। मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस, एयर क्वॉलिटी मॉनिटर, सफर के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस सप्ताह बुधवार को दिल्ली का प्रदूषण स्तर 35ः बढ़कर रेकॉर स्तर तक पहुंच गया था। बुधवार को प्रदूषण के स्तर में हुई इस वृद्धि का प्रमुख कारण खेतों में पराली जलाना ही था।