नई दिल्ली। राज्यसभा के ऐतिहासिक 250वें सत्र के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के उच्च सदन को भारत के संघीय ढांचे की आत्मा करार दिया। उन्होंने कहा कि लोकसभा जहां जमीन से जुड़ी है, वहीं उच्च सदन राज्यसभा दूर तक देख सकती है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बयान के हवाले से उन्होंने कहा कि राज्यसभा सेकंड हाउस है, सेकंडरी (गौण, महत्वहीन) नहीं और भारत के विकास के लिए इसे सपोर्टिव हाउस बने रहना चाहिए। इस दौरान उन्होंने एनसीपी और बीजू जनता दल (बीजेडी) की इसलिए तारीफ की कि उनके सांसद कभी वेल में नहीं जाते। पीएम मोदी ने कहा कि इन दोनों दलों से हम सभी को सीखने की जरूरत है, बीजेपी को भी। पीएम ने ऐसे वक्त एनसीपी की तारीफ की है जब महाराष्ट्र में सियासी हलचल काफी तेज है और पवार की पार्टी बीजेपी की पूर्व सहयोगी शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश में है।पीएम मोदी ने भले ही संसदीय कामकाज को लेकर यह सराहना की है, लेकिन उनकी इस टिप्पणी के दूर तलक मायने निकाले जा रहे हैं। महाराष्ट्र में शिवसेना की ओर से एनसीपी और कांग्रेस के साथ सरकार गठन की कोशिशों को भी इससे जोड़ा जा रहा है। माना जा रहा है कि इस बयान के जरिए बीजेपी ने एनसीपी के साथ दोस्ती के संकेत दिए हैं। इन कयासों को शरद पवार के सरकार गठन को लेकर पूछे गए सवाल पर कोई ठोस जवाब न देने से और बल मिला है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात से पहले शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए बीजेपी और शिवसेना से पूछा जाना चाहिए।प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, श्चेक ऐंड बैलेंस का सिद्धांत राज्यसभा के लिए लागू होता है। जरूरी है कि हम रुकावटों के बजाय संवाद का रास्ता चुनें। दो दलों का जिक्र करना चाहूंगा- एनसीपी और बीजेडी। दोनों दलों ने खुद ही तय किया है कि हम वेल में नहीं जाएंगे। उन्होंने इस नियम को कभी नहीं तोड़ा। हम सभी को इनसे सीखने की जरूरत है। वेल में न जाकर भी लोगों का दिल, विश्वास जीत सकते हैं, यह इन दोनों पार्टियों ने दिखाया है। जब हम विपक्ष में थे तो हम भी यही काम करते थे, इसलिए हमें भी सीखने की जरूरत है।