नई दिल्ली ( 15 नवंबर ): मंगल ग्रह पर जाने वाले यात्रियों के लिए नासा बड़ी तैयारी कर रहा है। नासा एक स्पेस न्यूक्लियर रिऐक्टर का परीक्षण कर रहा है। इस स्पेस न्यूक्लियर रिऐक्टर से भविष्य में मंगल ग्रह पर पहुंचने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को काफी सुविधा मिलेगी। वे इस रिऐक्टर की मदद से ऊर्जा पैदा कर सकेंगे और ऐसे उपकरण चलाए जा सकेंगे जो लाल ग्रह पर उपलब्ध संसाधनों को ऑक्सीजन, पानी और ईंधन में बदल सकें। यह अनोखा किलोपावर रिऐक्टर अंतरिक्ष या पृथ्वी से दूर किसी ग्रह पर लंबे समय तक बिजली पैदा कर सकता है।
यह काफी छोटा होगा और सरल तरीके से ऊर्जा पैदा करने में सक्षम होगा। बताया गया है कि इस टेक्नॉलजी के जरिए 10 साल या उससे भी ज्यादा समय तक लगातार 1 से 10 किलोवॉट बिजली पैदा की जा सकती है। टिकाऊ होने के कारण इस पर भरोसा भी किया जा सकता है। यह प्रोटोटाइप पावर सिस्टम पेपर टॉवल को रोल करने के बराबर के आकार का ठोस, यूरेनियम-235 रिऐक्टर कोर इस्तेमाल करता है।
अमेरिका में लॉस ऐलमॉस नैशनल लैबरेटरी में किलोपावर वर्क प्रॉजेक्ट को लीड कर रहे पैट्रिक मैक्लर ने कहा, 'यह मंगल ग्रह की सतह जैसी विषम परिस्थितियों में ऊर्जा के एक प्रमुख स्रोत के तौर पर काम कर सकता है। इस तरह की पावर यूनिट मंगल पर गए लोगों के लिए गेमचेंजर साबित होगी। रात या दिन में बिजली की टेंशन नहीं होगी।'