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चले गए पात-पात झरने वाले गीतकार राजेन्द्र राजन

CityWeb News
Thursday, 15 April 2021 03:51 PM
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सहारनपुर। प्रेम और सामाजिक सराकारों के कवि अंतर्राष्ट्रीय गीतकार, गीत पंडित ‘साहित्य भूषण’ राजेंद्र राजन का आज तड़के करीब तीन बजे मेडिकल काॅलेज में निधन हो गया। वह करीब 69 वर्ष के थे और पिछले करीब एक सप्ताह से बीमार थे। उन्हें बुधवार की शाम ही पिलखनी मेडिकल काॅलेज में भर्ती कराया गया था। उनके निधन से पूरा हिन्दी जगत स्तब्ध है।


राजेंद्र राजन मूल रुप से एलम ( मुजफ्फरनगर) के रहने वाले थे। उनका जन्म पिता बी एस शर्मा के घर 9 अगस्त 1952 को हुआ था। बीएससी उन्होंने सहारनपुर के महाराज सिंह काॅलेज से किया। काफी वर्षों तक राजन स्टार पेपर मिल में सेवारत रहे। सेवानिवृत्ति के बाद से उनका पूरा जीवन साहित्य को ही समर्पित हो गया था। गद्य तो राजन जी ने छात्र जीवन में ही लिखना शुरु कर दिया था लेकिन उनकी मंचीय गीत यात्रा 1976 में मेला गुघाल कवि सम्मेलन से शुरु हुई थी। साढे़ चार दशक की इस गीत यात्रा में राजन ने लालकिला, गीत चांदनी जयपुर और राष्ट्रपति भवन सहित कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक देश के सभी बड़े मंचों पर असंख्य कवि सम्मेलनों में अपने गीत पढ़े। कवि सम्मेलनों के अलावा मुशायरों में भी उन्हें खूब वाह-वाही मिलती रही। निर्भय हाथरसी, कुंअर बेचैन, भारत भूषण, संतोषानंद, गोपालदास नीरज, शिशुपाल निर्धन, यशपाल जैन, रामरिख मनहर, रमानाथ अवस्थी, विजेंद्र अवस्थी, आचार्य रामनाथ सुमन, चंद्रसेन विराट, डाॅ.इंदिरा गौड़, डाॅ.बुद्धिनाथ मिश्र, माहेश्वर तिवारी, हरिओम पंवार सहित देश के अनेक साहित्य मनीषियों से उन्हें निरंतर असीम स्नेह और सराहना मिली। वर्ष 2009 में अमेरिका के 16 शहरों में राजन ने अपनी गीत यात्रा की और वहां के गीत प्रेमियों को अपने गीतों से मंत्रमुग्ध कर दिया था।


करीब चालीस साल पहले लिखा गया उनका गीत ‘मैं पात पात झर गया,तुम्हें भुलाने के लिए’ काव्य मंचों पर ऐसा चर्चित हुआ कि देश भर में राजन ही राजन सुनायी दे रहा था। इसके अलावा ‘केवल दो गीत लिखे मैंने....’आदि अनेक गीत ऐसे रहे जो लोगों की जुबान पर आज भी बैठे हैं।


वर्ष 1983 में उनका पहला काव्य संकलन ‘पतझर-पतझर सावन-सावन’प्रकाशित हुआ। वर्ष 2003 में गीत संग्रह ‘केवल दो गीत लिखे मैंने’ और वर्ष 2015 में दूसरा गीत संग्रह ‘खुश्बू प्यार करती है’ तथा 2017 में ग़ज़ल संग्रह ‘मुझे आसमान देकर’ प्रकशित हुआ। इसके अतिरिक्त देश भर की पत्र-पत्रिकाओं में उनके अनेक गीत व रचनाएं प्रकाशित हो चुकी है। प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका ‘शीतलवाणी’ का उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर वर्ष 2019 में एक विशेषांक भी प्रकाशित हुआ था। उनके अनेक गीत बहुत प्रसिद्ध हुए। लब्ध प्रतिष्ठित कवि कुमार विश्वास ने तो उनका चर्चित गीत ‘‘आने वाले है शिकारी मेरे गांव में......’’अपने स्टूडियों में रिकाॅर्ड कर प्रसारित किया था। वर्ष 2008 में ‘स्पर्श’ नाम से भी उनका एक आॅडियो कैसेट आया था।


वर्ष 2015 में उ.प्रत्र हिन्दी संस्थान ने उनके साहित्यिक अवदान पर उन्हें ‘ साहित्य भूषण ’ पुरस्कार से सम्मानित किया था। इसके अलावा हिन्दी-उर्दू साहित्य एवार्ड कमेटी उप्र द्वारा ‘साहित्य श्री’ पुरस्कार, महादेवी वर्मा पुरस्कार मुंबई, विद्यापति पुरस्कार खरगौन, सृजन सम्मान-2013 सहारनपुर, श्री कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर स्मृति पुरस्कार-2002, महाकवि नीरज सम्मान मैनपुरी, गीत ऋषि सम्मान अण्डमान, कविवर बुद्धिप्रकाश पारीख पुरस्कार 2008 जयपुर, प्रणाम सम्मान-2014 लखनऊ, विशंभर सहायप्रेमी पुरस्कार मेरठ-2008 व डाॅ.सुमेर सिंह शैलेश नामित पुरस्कार-2019 सतना के अलावा देशभर में उन्हें असंख्य पुरस्कारों से नवाजा जा चुका था। अपने पीछे राजन अपनी पत्नी श्रीमती विभा, अपने दो बेटो मनोज व प्रशांत का भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं।

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