नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा कि ‘लव जिहाद’ जैसा कोई टर्म मौजूदा कानूनों के तहत परिभाषित नहीं किया गया है और इससे जुड़ा कोई मामला केंद्रीय एजेंसियों के संज्ञान में नहीं आया है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी है। रेड्डी ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद किसी भी धर्म को स्वीकारने, उस पर अमल करने और उसका प्रचार-प्रसार करने की आजादी देता है।
उन्होंने कहा कि केरल उच्च न्यायालय सहित कई अदालतों ने इस विचार को सही ठहराया है। रेड्डी ने कहा, ‘यह ‘लव जिहाद’ शब्द मौजूदा कानूनों के तहत परिभाषित नहीं है। लव जिहाद का कोई मामला केंद्रीय एजेंसियों के संज्ञान में नहीं आया है।’ उन्होंने यह भी कहा कि एनआईए ने अब तक केरल में अलग-अलग धर्मों के जोड़ों के विवाह के दो मामलों की जांच की है। बता दें कि मुस्लिम लड़कों द्वारा कथित तौर पर फुसलाकर हिंदू लड़कियों से शादी करना और फिर उनका धर्म परिवर्तन कराने को श्लव जिहादश् का नाम दिया गया है। लव जिहाद का यह मुद्दा नया नहीं है। केरल और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के दौरान यह चुनाव मुद्दा भी बनता रहा है। 25 जून 2014 को केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने विधानसभा में जानकारी दी थी कि 2,667 लड़कियां 2006 से लेकर अब तक प्रेम विवाह के बाद इस्लाम कबूल कर चुकी हैं, हालांकि कितनी मुस्लिम लड़कियों ने प्रेम विवाह के बाद हिन्दू या अन्य कोई धर्म ग्रहण किया इसकी कोई जानकारी नहीं है।हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया की 26 जुलाई 2010 को प्रकाशित एक खबर में केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन ने भी लव जिहाद को लेकर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया और कैंपस फ्रंट जैसे संगठन दूसरे धर्मों की लड़कियों को फुसलाकर उनसे शादी कर इस्लाम कबूल करवाने की साजिश रच रहे हैं। उनके इस बयान पर उस वक्त काफी बवाल हुआ और कांग्रेस ने चुनाव से पहले इसे श्हिंदू वोटोंश् के लिए लेफ्ट की साजिश करार दिया।