8वें राउंड बातचीत में बनी भारत-चीन में सहमति
भारत चीन सीमा पर जारी तनाव के बीच बड़ी खबर आई है। 8वें राउंड कॉर्प्स कमांडर की बातचीत के बाद भारत और चीन सीमा पर तनाव घटाने को राजी हो गए हैं। दोनों देशों की तरफ से बयान जारी किया गया है। दोनों देशों की तरफ से गलतफहमी दूर करने और अपनी-अपनी सेना को संयम बरतने की बात कही गई है।
दोनों पक्षों ने सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से बातचीत और संचार बनाए रखने के लिए सहमति व्यक्त की। इस बैठक में चर्चाओं को आगे बढ़ाते हुए अन्य विवादित मुद्दों को भी खत्म करने सहमति बनी ताकि संयुक्त रूप से सीमा क्षेत्रों में शांति बनाए रखी जा सके। साथ ही दोनों देश जल्द ही बैठक का एक और दौर आयोजित करने के लिए भी सहमत हुए।
बता दें कि पिछले छह महीनों से चीन सीमा से सटे पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के सेनाओं के बीच तनातनी जारी है। 14-15 जून की रात पूर्वी लद्दाख में दोनों पक्षों के बीच खूनी झड़प हुई थी जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे और चीनी पक्ष के भी 40 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
6 नवंबर को चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल बिपिन रावत ने स्पष्ट कर दिया था कि एलएसी पर कोई बदलाव भारत स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने कहा था कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। हमारा रुख स्पष्ट है, हम वास्तविक नियंत्रण रेखा में कोई बदलाव स्वीकार नहीं करेंगे। जनरल रावत ने बताया, चीन की पीएलए लद्दाख में अपने दुस्साहस को लेकर भारतीय बलों की मजबूत प्रतिक्रिया के कारण अप्रत्याशित परिणाम का सामना कर रही है। उन्होंने आगे कहा, सीमा पर झड़पों और बिना उकसावे के सैन्य कारवाई के बड़े संघर्ष में तबदील होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
चीन के साथ सीमा पर तनाव के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैनात जवानों को भीषण सर्दी में इस्तेमाल होने वाले कपड़े दिए गए हैं। यह कपड़े अमेरिका से खरीदे गए हैं कि ताकि कड़ाके के सर्दी में भी जवान मुस्तैद रहे। गर्म कपड़ों के साथ ही जवानों को एसआईजी असॉल्ट राइफल दी गई है। सैन्य अधिकारियों ने कहा है कि बेहद सर्द मौसम में चुनौतियों से निपटने के लिए जवानों को खास कपड़े और हथियार दिए गए हैं।
जानकारी के मुताबिक भारतीय सेना भीषण ठंड के लिए अपने पास करीब 60 हजार सैनिकों के हिसाब से विशेष कपड़ों का स्टॉक रखती है। इन सेटों में से लगभग 30,000 अतिरिक्त की आवश्यकता थी, क्योंकि एलएसी पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की आक्रामकता को देखते हुए इस क्षेत्र में 90,000 के करीब सैनिक तैनात हैं।