कैंसर के बढ़ते मामलों पर काबू पाने के लिए विशेषज्ञों की ओर से दिए गए सुझावों में इस बीमारी से निपटने के प्रति आक्रामक रवैया अपनाना, विभिन्न शहरों में किफायती उपचार उपलब्ध करवाना और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना शामिल हैभारत और विदेश के कई विशेषज्ञों ने रविवार को गोवा में डिफिकल्ट डायलॉग समिट द्वारा आयोजित चर्चा ‘व्हाट वी आर डुइंग अबाउट कैंसर?’ में कैंसर से निपटने के तरीकों पर अपने विचार रखे। एक प्रमुख रेडियोलॉजिस्ट स्नेह भार्गव ने कहा, ‘केंद्र सरकार ने वर्ष 2020 में कैंसर के मामलों में 15 प्रतिशत की कटौती और वर्ष 2030 तक 30 प्रतिशत की कटौती करने का लक्ष्य रखा है। ये दोनों ही लक्ष्य बहुत छोटे हैं और इनमें बहुत देरी है। इस बीमारी को नियंत्रित करने की दिशा में अधिक आक्रामक रुख अपनाया जाना चाहिए।’उन्होंने कहा, ‘देश में राष्ट्रीय स्तर पर मरीजों और सरकारों की ओर से 1.4 लाख करोड़ रुपए कैंसर के इलाज में जा रहे हैं।’ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव रहे अंशु प्रकाश ने कहा कि देश में हर समय कैंसर रोगियों के 40 लाख मामले हैं। प्रकाश ने कहा, हर साल नए मामलों की संख्या में 15 लाख का इजाफा हो रहा है। हर साल कैंसर के कारण 6.5 लाख लोग मारे जाते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के पूर्व अधिकारी ने कहा, ‘नए मामलों में, एक तिहाई मामले ऐसे हैं, जिनसे बचा जा सकता है। अन्य एक तिहाई मामले उपचार योग्य हैं।’ प्रकाश ने कहा कि देश में कैंसर के जितने मामले सामने आते हैं, उनमें से 30 प्रतिशत का सीधा संबंध तंबाकू के इस्तेमाल से है। पंजाब सरकार के प्रधान सचिव विनी महाजन ने कहा, ‘आज से लगभग सात-नौ साल पहले पंजाब कैंसर की राजधानी के रूप में कुख्यात था। इसे खेती के लिए कीटनाशियों के इस्तेमाल के लिए दोषी ठहराया जाता था। वास्तव में, कैंसर के मामले खान-पान की आदतों और तौर-तरीकों से जुड़े हैं। अब कैंसर का फैलाव नियंत्रण में है लेकिन बहुत कुछ किया जाना अब भी बाकी है।’