दुनियाभर में कोरोनावायरस का कहर जारी है। रोज लाखों लोग कोराना से पीड़ित हो रहे हैं, वहीं जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने आंकड़े जारी कर बताया कि कोरोनोवायरस के कारण अब तक दुनिया में मरने वालों का आंकड़ा 20 लाख से ऊपर पहुंच चुका है।
पूरी दुनिया में अब तक लगभग 93,518,182 लोग वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 2,002,468 लोग अब तक इस वायरस के शिकार हो चुके हैं।
अमेरिका ने कोरोनो वायरस मामलों और मौतों की अब तक अधिकतम संख्या की सूचना दी है। अमेरिका में 23,395,418 कोरोना के मामले सामने आ चुके हैं जबकि 390,195 लाख मौतें हो चुकी हैं
अमेरिका में कोविड टीकाकरण अभियान के बावजूद कोरोना से संक्रमण और मौतों की संख्या में लगातार वृद्धि देखने को मिल रही है। अमेरिका में मंगलवार को कोरोना से रिकॉर्ड करीब 4,500 लोगों की मौत हुई थी। महामारी शुरू होने से लेकर अब तक अमेरिका में एक दिन में मरने वालों की यह संख्या सबसे अधिक है। इसी के साथ अमेरिका में मरने वालों की संख्या चार लाख से अधिक हो गई है।
यूएस सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, अब तक 90 लाख से अधिक लोगों को कोविड वैक्सीन की पहली डोज दी जा चुकी है।
अन्य देशों की बात करें तो ब्राजील में अब तक 8,324,294 लोगों की कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है और 207,095 लोगों की मौत हो गई है।इसी प्रकार, रूस और ब्रिटेन ने अब तक 3,483,531 और 3,325,636 मामले दर्ज किए हैं। गौरतलब है कि पिछले साल जनवरी में चीन के वुहान में कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया था, इसके बाद पूरी दुनिया में इस वायरस ने आतंक मचाया। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक टीम भी चीन पहुंच चुकी है जो कोरोना के मामलों पर रिसर्च करेगी। कोरोना वायरस दिसंबर 2019 में पहली बार चीन के वुहान शहर में सामने आया था। जोन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय द्वारा संकलित किए गए मृत्यु संबंधी आंकड़े ब्रसेल्स, मक्का और वियना की आबादी के बराबर हैं।
गौरतलब है कि शुरुआती 10 लाख लोगों की मौत आठ महीनों में हुई थी लेकिन अगले 10 लाख लोग चार महीने से भी कम समय में मर गए। मौत के ये आंकड़े दुनियाभर में सरकारी एजेंसियों द्वारा बताए गए हैं, जबकि बीमारी के कारण मृतकों की असल संख्या अधिक हो सकती है क्योंकि महामारी के शुरुआती दिनों में मौत होने के कई अन्य कारण भी बताए गए थे।
ब्रॉउन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में महामारी विशेषज्ञ डॉ आशीष झा ने कहा कि काफी लोगों की मौत हुई है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक समुदाय ने असाधारण काम किया है। अमेरिका, ब्रिटेन, इस्रायल, कनाडा और जर्मनी जैसे संपन्न देशों में लाखों लोगों को सुरक्षा देने का काम शुरू किया जा चुका है। उन्हें कम से कम टीके की एक खुराक दी गई है।
कई ऐसे देश हैं जहां टीका पहुंचा ही नहीं है। कई विशेषज्ञ अनुमान जता रहै हैं कि ईरान, भारत, मेक्सिको और ब्राजील में यह साल भी दुश्वारी भरा हो सकता है। दुनियाभर में कोविड-19 से मरने वालों में आधे लोग इन्हीं देशों से थे।
अमीर देशों में टीकाकरण अभियान तो चल रहा है लेकिन गरीब देशों में इस अभियान को चलाने में कई बाधाएं हैं। इनमें कमजोर स्वास्थ्य प्रणाली होना, लचर परिवहन व्यवस्था, भ्रष्टाचार और टीके को फ्रीज़र में रखने के लिए बिजली का अभाव शामिल हैं।
कोविड-19 टीके की अधिकतर खुराक अमीर देशों ने खरीद ली हैं। दुनिया के विकासशील देशों में टीका पहुंचाने लिए शुरू की गई संयुक्त राष्ट्र समर्थित परियोजना कोवैक्स को टीके, धन और साजो-समान संबंधी समस्या से जूझना पड़ रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रमुख वैज्ञानिक डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि इस साल दुनिया के 70 फीसदी लोगों को टीका लगाने का लक्ष्य हासिल करना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर कुछ देशों या स्थानों पर टीकाकरण कर भी दिया जाता है तो यह दुनियाभर में लोगों को संक्रमण से नहीं बचाएगा।