लव जिहाद के बीच कोर्ट का बड़ा फैसला, शादी के लिए धर्म परिवर्तन जरूरी नहीं
देश भर में लव जिहाद पर चल रही चर्चाओं के बीच एक बार फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। एक आदेश में कोर्ट ने कहा है कि बालिग लड़का व लड़की अपनी मर्जी से किसी भी व्यक्ति के साथ रह सकते हैं। उनके जीवन में हस्तक्षेप करने का किसी को अधिकार नहीं है। हालांकि संविधान प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद का धर्म अपनाने का अधिकार देता है लेकिन महज शादी के लिए धर्म परिवर्तन किया जा रहा है। विशेष विवाह अधिनियम के तहत बिना धर्म बदले विपरीत धर्म को मानने वाले शादी करके वैवाहिक जीवन बिता सकते हैं। यह कानून सभी धर्म पर लागू है। इसके बावजूद लोग शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन कर रहे हैं, जो सही नहीं है।
जानें किस केस पर सुनाया फैसला :
कोर्ट ने विपरीत धर्मों के याचियों को अपनी मर्जी से कहीं भी किसी के साथ रहने के लिए स्वतंत्र कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने सहारनपुर की पूजा उर्फ जोया व शाहवेज की याचिका पर दिया है। पूजा ने घर से भागकर शाहवेज से शादी कर ली। जब परिवार को पता चला तो घर में नजरबंद कर दिया, जिस पर यह याचिका दाखिल की गई। कोर्ट ने लड़की याची को पेश करने का निर्देश दिया। पिता द्वारा पेश न करने पर एसपी सहारनपुर को लड़की को पेश करने का निर्देश दिया। कोर्ट में पेश लड़की ने कहा कि वह अपने पति के साथ रहना चाहती है। कोर्ट ने उसे अपनी मर्जी से जाने के लिए स्वतंत्र कर दिया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसी तरह का एक फैसला शुक्रवार को भी सुनाया था। फैसले के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐलान किया है कि राज्य में लव जिहाद के खिलाफ कानून बनेगा। उन्होंने कहा कि इससे न्यायालय के आदेश का पालन भी होगा और बहन-बेटियों का सम्मान भी होगा। शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि महज शादी के लिए धर्म परिवर्तन वैध नहीं है।