नई दिल्ली (4 नंवबर ): तिब्बत के प्रधानमंत्री लोबसांग सांगये ने कहा कि चीन में सिर्फ 12 फीसदी लोगों के पास ही शुद्ध जल की उपलब्धता है। उन्होंने कहा, 'तिब्बत की नदियों के पानी को चीन इसलिए डायवर्ट करने की प्लानिंग कर रहा है क्योंकि वह जल के संकट से जूझ रहा है। यदि ऐसा होता है तो ब्रह्मपुत्र समेत तिब्बत से निकलने वाली नदियों पर निर्भर होने वाले 1.4 अरब लोग बड़े संकट में आ जाएंगे।' पूर्वोत्तर भारत के लिए सबसे बड़े जलस्रोत ब्रह्मपुत्र नदी के प्रवाह को चीन मोड़ने की तैयारी कर रहा है। चीन की योजना तिब्बत से निकलने वाली इस नदी पर 1,000 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाकर इसके जल को सूखा प्रभावित अपने राज्य शिनजियांग ले जाने की है। यदि चीन इस योजना को अमलीजामा पहनाता है तो भारत के पूर्वोत्तर हिस्से को पानी की किल्लत झेलनी पड़ सकती है। तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रेजिडेंट लोबसांग सांगे का कहना है कि चीन ने पानी के संकट से निकलने के लिए तिब्बत की नदियों के डायवर्जन की योजना बनाई है।
हालांकि चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी के जल को डायवर्ट करने के लिए 1,000 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने की योजना से इनकार किया है। चीन में इस नदी को यारलुंग सांगपो के नाम से जाना जाता है। गुवाहाटी में एक कार्यक्रम में शामिल होने आए सांगे ने कहा कि वैश्विक समुदाय को चीन के समक्ष यह मुद्दा उठाना चाहिए ताकि चीनी परियोजनाओं में तिब्बती लोगों को भी हक मिल सके।