रामपुर।
समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। रामपुर में मौलाना मोहम्मद जौहर अली यूनिवर्सिटी को लेकर रामपुर के उपजिलाधिकारी ने बड़ा आदेश दिया है। उपजिलाधिकारी ने यूनिवर्सिटी के अंदर जा रहे सार्वजनिक मार्ग से अनाधिकृत कब्जा हटाने को कहा है। इसके अलावा आजम खान को क्षतिपूर्ति के रूप में 3 करोड़ 27 लाख 60 हजार व कब्जा मुक्त होने तक 9,10,000 प्रति माह की दर से 15 दिन के अंदर वादी लोक निर्माण विभाग को देने का आदेश दिया है।
पीडब्ल्यूडी ने ही एसडीएम कोर्ट में इस मसले पर वाद दायर की थी, जिसमे जौहर यूनिवर्सिटी के चांसलर आजम खान को नोटिस भी जारी किए गए थे। आजम खान ने ये केस ट्रांसफर करने के अपील की थी, लेकिन वह पूर्व में खारिज हो गई थी। 24 जुलाई को आजम खान पक्ष ने जवाब दाखिल नहीं किया और केस ट्रांसफर की अपील कर दी, जिसको कोर्ट ने आज खारिज कर आज फैसला दिया है।
इससे पहले, आजम खां पर ढेर सारे विवादों में मुकदमे दर्ज होने और भूमाफिया के तौर पर चिह्नित होने के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी शिकंजा कसने की तैयारी शुरू कर दी है। ईडी के लखनऊ जोन कार्यालय ने यूपी पुलिस से उनके विरुद्ध दर्ज मुकदमों के बारे में रिपोर्ट मांगी है। बीती 18 जुलाई को रामपुर जिले के थानों में 24 घंटे के अंदर आजम के खिलाफ आठ और मुकदमे दर्ज कराए गए थे।
उधर, जमीन कब्जा करने के मामले में उनके विरुद्ध पांच मुकदमे दर्ज हुए थे। इन्हीं मुकदमों के बाद जिला प्रशासन ने आजम को भूमाफिया घोषित करते हुए उनका नाम एंटी भूमाफिया पोर्टल पर दर्ज कर दिया था। इस तरह आजम पर कई सौ करोड़ रुपये मूल्य की जमीन हड़पने के कुल 13 मामले दर्ज हो चुके हैं। उन पर लगातार यह आरोप लगता रहा है कि जौहर ट्रस्ट के माध्यम से संचालित मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए रामपुर में जमीनों पर अवैध कब्जा किया गया है। जिले के अजीम नगर थाने में दर्ज हुए मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि आजम ने जौहर विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए गरीब किसानों की कृषि उपयोग की जमीनों को फर्जी दस्तावेजों के जरिये हथिया लिया था। इसमें कोस नदी पर किया गया कब्जा भी शामिल है। नदी की जमीन पर कब्जे के मामले में एनजीटी ने भी एक जांच कमेटी गठित कर रखी है।
इसके अलावा आजम खां पर जल निगम में हुई भर्तियों के मामले में भी मुकदमा दर्ज है। इस मामले की जांच यूपी पुलिस की एसआईटी कर रही है। इस मामले में नगर विकास मंत्री और जल निगम अध्यक्ष के रूप में उनकी भूमिका जांच के दायरे में है। सूत्रों के अनुसार ईडी इन सभी मामलों से संबंधित मुकदमों का ब्योरा जुटाकर इस तथ्य की पड़ताल करेगा कि कहीं इसमें मनी लांड्रिंग का मामला तो शामिल नहीं है। यदि ऐसे तथ्य मिले तो ईडी प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई कर सकता है।