सुदर्शन कपटियाल।
सहारनपुर। ज्योतिशाचार्य गोतित राजेशपाल ने 23 सितम्बर के श्रद्धा को बड़ा ही महत्वपूर्ण बताया। बताया कि कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को सौभाग्यवतीनां श्राद्ध कहा जाता है।
गोपाल जी ज्योतिष रिशर्च शिक्षा केंद्र के ज्योतिशाचार्य गोति राजेशपाल ने कहा कि नवमी श्राद्ध इसलिए खास है कि इस दिन परिवार की मृत मातृ शक्तियों (महिलाओं) का श्राद्ध किया जाता है व पूजा की जाती है। मातृनवमी को घर का पुत्र व पौत्र वधुओं को उपवास रखकर श्राद्ध करना चाहिए। ऐसा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसलिए इसे सौभाग्यवतीना श्राद्ध भी कहा जाता है। उन्होंने बताया कि शास्त्रों के अनुसार इस दिन श्राद्ध करने से श्राद्ध करने वालों को धन, सम्पत्ति व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। सदा सौभाग्य बना रहता है। इस दिन जरूरतमंद व गरीब तथा ब्राह्म्णों को भोजन कराने से मातृ शक्ति का आर्शीवाद बना रहता है। उन्होंने बताया कि इस दिन भागवत के नवे अध्याय का पाठ दक्षिण दिशा में हरा कपड़ा बिछाकर व उस पर मृतकों की तस्वीर रखकर तथा दीपक जलाएं। तुलसी, तिल व मिश्री युक्त जल से तपर्ण करें या विद्धान पंडित से तर्पण करायें। उन्होंने बताया कि इसका मुर्हुरत पूर्वाह्न 11ः48 से दोपहर 12ः36 तक है।
गोपाल जी ज्योतिष रिशर्च शिक्षा केंद्र के ज्योतिशाचार्य गोति राजेशपाल ने कहा कि नवमी श्राद्ध इसलिए खास है कि इस दिन परिवार की मृत मातृ शक्तियों (महिलाओं) का श्राद्ध किया जाता है व पूजा की जाती है। मातृनवमी को घर का पुत्र व पौत्र वधुओं को उपवास रखकर श्राद्ध करना चाहिए। ऐसा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसलिए इसे सौभाग्यवतीना श्राद्ध भी कहा जाता है। उन्होंने बताया कि शास्त्रों के अनुसार इस दिन श्राद्ध करने से श्राद्ध करने वालों को धन, सम्पत्ति व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। सदा सौभाग्य बना रहता है। इस दिन जरूरतमंद व गरीब तथा ब्राह्म्णों को भोजन कराने से मातृ शक्ति का आर्शीवाद बना रहता है। उन्होंने बताया कि इस दिन भागवत के नवे अध्याय का पाठ दक्षिण दिशा में हरा कपड़ा बिछाकर व उस पर मृतकों की तस्वीर रखकर तथा दीपक जलाएं। तुलसी, तिल व मिश्री युक्त जल से तपर्ण करें या विद्धान पंडित से तर्पण करायें। उन्होंने बताया कि इसका मुर्हुरत पूर्वाह्न 11ः48 से दोपहर 12ः36 तक है।