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तंबाकू सेवन से हर घंटे 138 लोगों की मौत, जाने कारन.......

CityWeb News
Wednesday, 31 May 2017 01:00 PM
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रांची. धूम्रपान एक ऐसी बुराई है जो व्यक्ति को समय से पहले ही मौत के द्वार तक पहुंचा देती है. तंबाकू सेवन सिर्फ शरीर के लिए ही हानिकारक नहीं बल्कि, यह व्यक्ति की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को भी कमजोर कर देता है. यूं तो तंबाकू का उपयोग पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बना हुआ है, लेकिन आपको यह जान कर हैरानी होगी कि इसका कारोबार और उपयोग विकसित देशों की तुलना में विकासशील देशों में ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है. हर साल भारत में तंबाकू सेवन के कारण होनेवाली बीमारी से 12 लाख लोगों की मौतें हो रही हैं. यानी, हर घंटे 138 लोगों की मौत. विश्व स्वास्थ्य संगठन व भारत सरकार के ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे के अनुसार भारत में 35 प्रतिशत वयस्क (48 प्रतिशत पुरुष व 20 प्रतिशत महिला) तंबाकू का सेवन करते हैं. जबकि, झारखंड में 50.1 प्रतिशत वयस्क (63.6 प्रतिशत पुरुष व 35.9 प्रतिशत महिला) तंबाकू का सेवन करते हैं. इसमें 9.6 प्रतिशत लोग धूम्रपान व 47.9 प्रतिशत सूंघने या चबाने वाले तंबाकू का सेवन करते हैं.
तंबाकू व तंबाकू युक्त उत्पादों के सेवन से होने वाली बीमारी
तंबाकू सेवन से सिर, गर्दन, गले व फेफड़े के कैंसर के मामले सर्वाधिक हैं. सभी प्रकार के कैंसरों में तंबाकू के सेवन से जुड़े कैंसरों का हिस्सा 10 प्रतिशत है. जबकि, 90 प्रतिशत ओरल कैंसर तंबाकू के प्रयोग से होते हैं. यह मुख, गला, फेफड़ा, कंठ, खाद्यनली, मूत्राशय व गुर्दा आदि स्थानों का कैंसर पैदा कर सकता है. इसके सेवन से हृदय और रक्त संबंधी बीमारियां, पुरुषों में नपुंसकता व महिलाओं में प्रजनन क्षमता में कमी आना और बांझपन जैसी समस्याएं पैदा हाेती हैं.
अप्रत्यक्ष धूम्रपान भी हानिकारक : अप्रत्यक्ष या परोक्ष धूम्रपान भी हानिकारक है. इसके कारण बच्चों में सांस की बीमारी के लक्षण पाये गये हैं. धूम्रपान करनेवाले व्यक्ति की आयु धूम्रपान न करनेवाले व्यक्ति की तुलना में 22 से 28 प्रतिशत घट जाती है. फेफड़े का कैंसर होने का खतरा 20 से 22 गुना अधिक रहता है. अचानक मौत होने का खतरा तीन गुना अधिक रहता है.
तंबाकू नियंत्रण के लिए 2003 में बना है अधिनियम
तंबाकू नियंत्रण के लिए सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम बनाये गये हैं. यह अधिनियम भारत सरकार ने वर्ष 2003 में बनाया है. तंबाकू नियंत्रण अधिनियम में मुख्यत: चार धाराएं हैं, जिसका अनुपालन कराया जाना है.
धारा-4 : के अनुसार किसी भी सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करना प्रतिबंधित है. इस धारा का निर्माण अप्रत्यक्ष धूम्रपान रोकने के लिए किया गया है.
धारा-5 : किसी भी तंबाकू उत्पाद का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष विज्ञापन करना प्रतिबंधित है. इस धारा का निर्माण तंबाकू उत्पादों के प्रति लोगों के रुझान को कम करने के उद्देश्य से किया गया है.
धारा-6 (ए): किसी भी अवयस्क को तंबाकू उत्पाद बेचना या उनसे बिकवाना प्रतिबंधित है.
धारा-6 (बी): किसी भी शैक्षणिक संस्थान के 100 गज के दायरे में तंबाकू उत्पाद बेचना दंडनीय अपराध है. इस धारा का निर्माण अवयस्कों को तंबाकू की लत से बचाने के उद्देश्य से किया गया है. ताकि, आनेवाली पीढ़ी तंबाकू के दुष्परिणामों से बच सके. धारा-7 : इस धारा के अनुसार किसी भी तंबाकू उत्पाद को उसके पैकेट के 85 प्रतिशत हिस्से पर बिना चित्रित चेतावनी के नहीं बेचा जा सकता है. इस धारा का निर्माण अशिक्षित वर्ग के लोगों के लिए किया गया है. जिन्हें पढ़ना नहीं आता है वे तंबाकू के दुष्परिणामों को चित्र के माध्यम से देखें और समझें.
सरकार भी गंभीर नहीं
राज्य के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के परिसर और आसपास खुले में तंबाकू उत्पाद जैसे सिगरेट, बीड़ी, पान-मसाला, जर्दा व खैनी की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है. इस पर सरकार का कोई अंकुश नहीं है. बिक्री पर रोक लगाने के लिए राज्य स्तर से लेकर पंचायत स्तर तक कमेटियां बनी हुई हैं. इन कमेटियाें को बने पांच वर्ष हो गये. आज तक बैठक तक नहीं हुई, जबकि हर तीन महीने में कमेटी की बैठक होनी है. राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित है. जिला स्तर पर कमेटी के अध्यक्ष उपायुक्त होते हैं. इधर, हर चौक-चौराहों पर दुकानों में खुलेआम तंबाकू युक्त उत्पाद की बिक्री हो रही है. ग्लोबल यूथ टोबैको सर्व-2009 के अनुसार भारत में 13-15 वर्ष के 14.6% छात्र किसी न किसी तरीके से तंबाकू का सेवन कर रहे हैं. स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थी तंबाकूयुक्त उत्पाद बेचनेवाली कंपनियों का सॉफ्ट टारगेट होते हैं.
सिर्फ नौ जिलों में है धावादल
स्वास्थ्य विभाग की ओर से 24 अगस्त 2015 में सिगरेट व अन्य तंबाकू उत्पाद पर रोक लगाने के लिए कोटपा का कड़ाई से अनुपालन के लिए पूरे राज्य में धावादल के गठन का निर्देश दिया गया था. इस आदेश के बाद भी मात्र नौ जिलों में ही धावादल का गठन किया गया है. दल का गठन सिर्फ रांची, जमशेदपुर, धनबाद, रामगढ़, हजारीबाग, बोकारो, खूंटी, गढ़वा और सिमडेगा में हुआ है.
केस स्टडी
इटकी निवासी देव कुमारी देवी को वर्ष 2005 में ओरल कैंसर हुआ था. उन्हें काफी परेशानी हुई. गुल करने के कारण कैंसर हुआ था. देव कुमारी को जबड़े का कैंसर हुआ था. उनका इलाज आज भी चल रहा है. वर्ष 2005 में उनके इलाज पर करीब 1.5 लाख रुपये खर्च हुए थे.
शीघ्र डॉक्टरी सलाह लें
झारखंड में मुंह के कैंसर के मरीज ज्यादा मिल रहे हैं. लोग तंबाकू जनित उत्पादों के सेवन को लाइफ स्टाइल का हिस्सा मानते हैं. यह आगे चल कर आदत में शुमार हो जाता है. यदि किसी को मुंह में किसी प्रकार का घाव है और वह ठीक नहीं हो रहा है, तो तुरंत डाॅक्टरी सलाह लेनी चाहिए.
-डॉ अजय कुमार, कैंसर विशेषज्ञ
आज राजनीतिक इच्छाशक्ति में अभाव के कारण नीतिगत निर्णयों को लागू करने में परेशानी हो रही है. क्योंकि, तंबाकू इंडस्ट्रीज के लोग कहीं न कहीं से इस सिस्टम में हिस्सा हैं. राज्य से लेकर पंचायत स्तर तक कमेटियां बनी हुईं हैं, लेकिन वह अब तक कारगर साबित नहीं हो रही हैं.
-दीपक मिश्रा, एक्टिविस्ट
कोटपा-2003 के बारे में जानिए
युवकों को तंबाकू उत्पाद की पहुंच से बचाने के लिए भारत तंबाकू नियंत्रण अधिनियम (कोटपा-2003) की धारा-6 में यह प्रावधान है कि 18 वर्ष से कम आयु के युवकों को तंबाकू उत्पाद नहीं बेचा जा सकता है. साथ ही किसी भी शैक्षणिक संस्थान के आसपास 100 गज के दायरे में तंबाकू उत्पाद की बिक्री पर प्रतिबंध है.
कोटपा में दंड का प्रावधान
धारा-4 : व्यक्तिगत अपराधों के लिए 200 रुपये.
धारा-5 : पहला अपराध दो वर्ष का कारावास या 1000 रुपये जुर्माना या दोनों.
धारा-6 : 200 रुपये तक जुर्माना.
धारा-7 : विनिर्माता के लिए.
पहला अपराध : दो वर्ष का कारावास, 5000 रुपये जुर्माना या दोनों.
दूसरा अपराध : पांच वर्ष का कारावास, 10000 रुपये जुर्माना या दोनों.
बिक्री या खुदरा बेचे जाने पर
पहला अपराध एक वर्ष की सजा, 1000 जुर्माना या दोनों.
दूसरा अपराध दो वर्ष की सजा, 3000 रुपये जुर्माना या दोनों.
प्रतिबंध बेअसर धड़ल्ले से बिक रहे हैं पान-मसाला और तंबाकू के ट्वीन पैक
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर स्वास्थ्य विभाग ने झारखंड में पान मसाला व तंबाकू के ज्वाइंट पैक की बिक्री पर रोक लगा दिया है. इसके बावजूद पूरे राज्य में धड़ल्ले से पान-मसाला और जर्दा के पाउच की बिक्री हो रही है. स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी ने 09 दिसंबर 2016 को सभी एसीएमओ व खाद्य सुरक्षा अधिकारी को पत्र भेजा था. पत्र में उन्होंने लिखा था कि खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 और इसके बनाये गये विनियम(विक्रय, प्रतिषेध और निबंधन) 2011 के 2.3.4 के अनुसार किसी खाद्य उत्पाद में संघटकों के रूप में तंबाकू और निकोटिन का उपयोग नहीं किया जायेगा. इस संबंध में खाद्य सुरक्षा आयुक्त ने 25 जुलाई 2012 से ही राज्य में निकोटिन युक्त तंबाकू और गुटखा जैसे खाद्य पदार्थों के निर्माण, विक्रय और संग्रहण पर प्रतिबंध लगा दिया है.
प्रतिबंध लगाने का दिया था सख्त निर्देश
श्री त्रिपाठी ने लिखा था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 23.9.2016 को यह संज्ञान लिया गया है कि अनेक प्रतिष्ठानों पर पान-मसाला और तंबाकू के अलग-अलग पैकेटों को एक साथ स्टेपल कर या ज्वाइंट पैक में बेचा जा रहा है. सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि अपने स्तर से जिले में उपरोक्त प्रकार के पान-मसाला और तंबाकू की बिक्री पर प्रतिबंध लगाना सुनिश्चित करें और विशेष छापामारी दल गठित कर ऐसे पान मसाला एवं तंबाकू के स्टेपल या ज्वाइंट पैक का विक्रय करने वाले विक्रेताओं के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करें.
नहीं हो रही है कार्रवाई
अपर मुख्य सचिव के निर्देश के बावजूद एसीएमओ व खाद्य सुरक्षा अधिकारियों द्वारा कहीं भी छापेमारी नहीं की गयी है. हाल के दिनों में रांची के एसडीओ ने इस मामले में संज्ञान लेकर कुछ जगहों पर छापेमारी की है. इसके बावजूद अभी भी सभी पान दुकानों में पान-मसाला व तंबाकू के पैकेट बिक रहे हैं. किसी ब्रांड के पान-मसाले के साथ तंबाकू का पैकेट भी दिया जाता है. लोग दोनों को मिला कर सेवन करते हैं.
झारखंड. वयस्कों में तंबाकू की खपत 50 प्रतिशत से ज्यादा है
रांची. झारखंड में वयस्कों में तंबाकू की खपत 50 प्रतिशत से ज्यादा है. युवाओं में तंबाकू सेवन की प्रवृति तेजी से बढ़ रही है. सामान्यत: कैंसर शरीर में कोशिकाओं को अप्रत्याशित रूप से वृद्धि करता है. यह शरीर के किसी भी भाग में हो सकता है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार भारत में 30 से 35 प्रतिशत मामले मुंह कैंसर के होते हैं. कैंसर का प्रारंभिक कारणों का पता आसानी से चल जाये, तो मरीज को बचाया जा सकता है. स्क्रीनिंग से कैंसर के स्टेज का पता किया जा सकता है. पैट सीटी स्कैन से कैंसर व उसके स्टेज के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है. बॉयोप्सी जांच से भी कैंसर का पता किया जाता है.
मुंह के कैंसर का कारण
मुख कैंसर का मुख्य कारण तंबाकू व धूम्रपान का सेवन करना है. मुंह में सभी प्रकार के छाले कैंसर नहीं हो सकते हैं. बार-बार छाला का होना या दांतों से बननेवाले घाव (तंबाकू चबानेवालों में) कैंसर का रूप ले सकते हैं. कैंसर का पता और उसपर नियंत्रण जागरूकता कार्यक्रम द्वारा ही लाया जा सकता है. कैंसर का इलाज अब अत्याधुनिक तरीके से किया जा सकता है. रेडियोथेरेपी से कैंसर का इलाज काफी हद तक संभव हो पाया है. राजधानी में हुक्का बार का फैशन चल गया है, जो कैंसर का कारण बनता है. स्टेट सिंबल के कारण हुक्का पीने वालों की संख्या बढ़ गयी है. तंबाकू उत्पाद अधिनियम के तहत हुक्का बार बंद करने का निर्णय लिया गया है, लेकिन यह धड़ल्ले से प्रचलन में है.

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